Acid, Base and Salt
अम्ल क्षारक एवं लवण
परिचय:
हम यहाँ पर अम्ल
क्षारक के सामान्य गुणों के बारे में अध्ययन करेगें| जैसे की अम्ल स्वाद में खट्टे
होते हैं और क्षारक स्वाद के कडवे होते हैं| अम्ल शब्द लैटिन भाषा के एसिड्स (जिसका
अर्थ खट्टा होता हैं)से लिया गया हैं|
अम्ल की विशेषताएं:
ð
अम्ल स्वाद में खट्टे
होते हैं|
ð
यह नीले रंग लिटमस को
लाल रंग में परिवर्तित कर देते हैं|
ð
जल से साथ अभिक्रिया करके
H+ आयन प्रदान करते हैं|
क्षारक की विशेषताएँ:
ð
क्षारक स्वाद में
कडवे होते हैं|
ð
यह लाल रंग के लिटमस
को नीले रंग में परिवर्तित कर देते हैं|
ð
जल के साथ अभिक्रिया
करके OH- आयन प्रदान करते हैं|
सूचक:
सामान्यत वह पदार्थ जो किसी विशेष पदार्थ
(अम्ल व क्षारक) के होने की सुचना प्रधान करता हैं, सूचक कहलाता हैं|
जैसे कि हल्दी भी एक
प्रकार का सूचक हैं जो श्वेत कपडे पर लगे दाग को जब क्षारीय माध्यम से युक्त पदार्थ
साबुन इत्यादि से धोया जाता हैं तो कपडे पर लगे धब्बे का रंग भूरा लाल हो जाता हैं|
जो साबुन इत्यादि में क्षारीय माध्यम के होने की सुचना देता हैं|
अन्य संश्लेषित सूचक:
ð
मैथिल ऑरेंज
ð
फिनोल्फ़थेलीन
इन पदार्थों का उपयोग
कर हम किसी पदार्थ के अम्ल व क्षारीय माध्यम की पहचान कर सकते हैं|
नोट: लिटमस विलयन एक प्रकार का बैंगनी रंग का रंजक
होता हैं जिसे थैलोफाईटा समूह के लिचेन पौधे से निकाला जाता हैं| जिसका विलयन न तो
अम्लीय होता हैं और न ही क्षारीय होता हैं और इसका रंग बैंगनी होता हैं जो एक सूचक
का कार्य करता हैं|
लाल पत्ता गोबी,
हल्दी, हायड्रेलिया, पेटूनिया एवं जेरानियम जैसे कई प्राकृतिक पदार्थ भी अम्ल तथा क्षारक
की उपस्थिति को बताते हैं| जिन्हें अम्ल-क्षारक सूचक या सूचक कहा जाता हैं|
कुछ ऐसे पदार्थ भी
होते हैं जिनकी गंध अम्लीय व क्षारीय माध्यम में बदल जाती हैं इशे गंधीय सूचक कहते
हैं|
जिनमें मुख्यतः वैनिला,
प्याज एवं लौंग के तेल इत्यादि को गंधीय सूचक के रूप में उपयोग में लाया जाता हैं|
अम्ल एवं क्षारक धातु
के साथ अभिक्रिया :
अम्ल की जब
धातु के साथ अभिक्रिया कराई जाती हैं तो अम्ल में से हाइड्रोजन का विस्थापन हो
जाता हैं जिससे हाइड्रोजन गैस बहार निकलती हैं व शेष अपशिष्ट धातु के साथ मिलकर एक
यौगिक बनाता हैं जिसे लवण कहते हैं|
अम्ल + धातु
लवण
+ हाइड्रोजन
गैस
H2SO4 + Zn
ZnSO4 + H2
इसी प्रकार कुछ धातुओं की क्षारक के साथ
अभिक्रिया करवाई जाती हैं तो भी हाइड्रोजन गैस बहार निकलती हैं|
2NaOH + Zn
Na2ZnSO2 + H2
परन्तु सभी धातुओं के साथ अभिक्रिया संभव
नहीं हैं|
धातु
कार्बोनेट तथा धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट अम्ल के साथ अभिक्रिया:
धातु
कार्बोनेट व धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट जब अम्ल के साथ अभिक्रिया करते हैं तो लवण,
जल व कार्बन डाई ऑक्साइड का निर्माण होता हैं|
धातु कार्बोनेट/धातु हाइड्रोजन कार्बोनेट
+ अम्ल
लवण +
कार्बन डाई ऑक्साइड + जल
Na2CO3 (s) + 2HCl
2NaCl + H2O + CO2
NaHCO3 + HCl
NaCl + H2O + CO2
जब चुने के पानी में कार्बन डाई
ऑक्साइड गैस प्रवाहित कराई जाती हैं तो
Ca(OH)2 + CO2
CaCO3 + H2O
चुने का पानी श्वेत अवक्षेप
जब कार्बन डाई ऑक्साइड को चुने के पानी
(श्वेत अवक्षेप) में अधिक देर तक प्रवाहित किया जाता हैं तो
CaCO3 + H2O
Ca(HCO3)2
जल में विलयशील
नोट: चुना- पत्थर (lime
stone) खड़िया एवं संगमरमर (मार्बल) कैल्सियम कार्बोनेट के रूप हैं|
अम्ल एवं क्षारक
परस्पर कैसे अभिक्रिया करते हैं
जब अम्ल व
क्षारक आपस में क्रिया करते हैं तो उन दोनों का प्रभाव समाप्त हो जाता हैं तथा
दोनों ही एक अन्य पदार्थ में परिवर्तित हो जाते हैं जिसे लवण कहा जाता हैं तथा साथ
में जल का भी निर्माण होता हैं|
अम्ल + क्षारक
लवण
+ जल
अभिक्रिया के
फलस्वरूप बनने वाला पदार्थ उदासीन होता हैं व इस प्रकार की अभिक्रिया को उदासीनीकरण
अभिक्रिया कहते हैं|
NaOH + HCl
NaCl + H2O
क्षारक अम्ल लवण जल
अम्लों के साथ धातु
ऑक्साइड के अभिक्रिया
धात्विक ऑक्साइड अम्लों के साथ अभिक्रिया
करके लवण व जल का निर्माण करते हैं जिसे निम्न प्रकार से लिखा जा सकता हैं|
धातु
ऑक्साइड + अम्ल
लवण
+ जल
CuO + 2HCl
CuCl2 +H2O
नीला हरा रंग
धात्विक ऑक्साइड अम्ल
के साथ अभिक्रिया करके लवण व जल प्रदान करते हैं अतः धात्विक ऑक्साइड को क्षारकीय
ऑक्साइड भी कहते हैं|
क्षारक के साथ
अधात्विक ऑक्साइड की अभिक्रिया:
क्षारक अधात्विक ऑक्साइड के अभिक्रिया
करके लवण व जल का निर्माण करते हैं|
जैसे कि
कार्बन डाई ऑक्साइड एवं कैल्सियम हाइड्रो ऑक्साइड (चुने का पानी) के मध्य जब
अभिक्रिया कराई जाती हैं तो कैल्सियम का लवण व जल प्राप्त होता हैं| अतः हम कह
सकते हैं कि अधात्विक ऑक्साइड की प्रकृति अम्लीय होती हैं|
क्षारक + अधात्विक ऑक्साइड
लवण
+ जल
Ca(OH)2 + CO2
CaCO3 + H2O
कैल्सियम हाइड्रो ऑक्साइड
कैल्सियम कार्बोनेट
नोट : सभी अम्लो में H+
धनायन उपस्थित रहता हैं जिसके कारण अम्लीय विलयन विद्युत धारा के
सुचालक होते हैं|
इसी प्रकार कुछ ऐसे
अवयव भी हैं जैसे की ग्लूकोज व एल्कोहोल जो प्रकृति तो अम्लीय रखते हैं परन्तु इनके
विलियन विद्युत धारा के कुचालक होते हैं|
ऐसे ही क्षारक में भी
OH- आयन उपस्थित होने के कारण विद्युत के सुचालक होते हैं|
जलीय विलयन में अम्ल
व क्षारक का क्या होता हैं
अम्ल केवल
जलीय विलयन में ही आयन उत्पन्न करते हैं जब जल में HCl को मिलाया जाता हैं तो इससे
हाइड्रोजन आयन उत्पन्न होते हैं| जल की अनुपस्थित में नहीं होते हैं|
HCl + H2O
H3O+ + Cl-
H+
आयन स्वतंत्र रूप से नहीं रह सकता हैं परन्तु जल के अणु के
साथ रह सकता हैं|
H+ + H2O
H3O
H3O+ (हाइड्रोनियम
आयन) H+ (हाइड्रोजन आयन)
इसी प्रकार जब जल में
क्षारक को घोला जाता है तो हमें हाइड्रोक्साइड (OH-)आयन प्राप्त होता
हैं|
नोट: जल में घुलनशील क्षारक को ‘क्षार’ कहते हैं|
NaOH
Na+ + OH-
KOH
K+ + OH-
Mg(OH)2
Mg+2 + 2OH-
उदासीनीकरण :
जब अम्ल व
क्षारक की आपस में अभिक्रिया संपन्न होती हैं तो लवण व जल का निर्माण होता हैं तथा
यह अभिक्रिया आयन मुक्त होती हैं व प्राप्त पदार्थ उदासीन होता हैं व अभिक्रिया
उदासीनीकरण अभिक्रिया कहलाती हैं|
नोट: अम्ल व क्षारक को जल में घुलने की क्रिया अत्यधिक
ऊष्मा क्षेपी अभिक्रिया हैं| अतः अम्ल व क्षारक को जल में डाला जाता हैं ना की जल
को अम्ल व क्षारक में|
तनुकरण: जल में अम्ल व क्षारक मिलाने
पर आयन की सांद्रता (H3O+/OH-) में प्रति इकाई आयतन में कमी हो जाती हैं इसी
प्रक्रिया को तनुकरण कहते हैं| एवं अम्ल या क्षारक तनुकृत कहलाते हैं|
अम्ल व
क्षारक के विलयन कितने प्रबल होते हैं :
नोट: ‘सार्वत्रिक सूचक’
जो अनेक सूचकों का मिश्रण होता हैं|
‘सार्वभौम
सूचक’ किसी विलयन में हाइड्रोजन आयन की विभिन्न सांद्रता को विभिन्न रंगों में
प्रदर्शित करते हैं|
किसी विलयन
में हाइड्रोजन की सांद्रता ज्ञात करने के लिए एक स्केल विकशित किया गया जिसे pH
स्केल कहते हैं|
pH में p
सूचक हैं जिसका अर्थ हैं “शक्ति” |
जिस विलयन
में हाइड्रोजियम आयन की सांद्रता जितनी अधिक होगी उसका pH उतना ही अधिक होगा| उदासीन
विलयन का pH मान 7 होगा व 7 से कम pH मान वाला विलयन अम्लीय होगा तथा 7 से अधिक pH मान वाला विलयन क्षारीय होगा|
क्षारीय विलयन में OH‑ की सान्द्रता में वृद्धि होती हैं|
·
अधिक मात्रा में H+
आयन उत्पन्न करने वाला विलयन “प्रबल अम्ल ” होगा|
·
अधिक मात्रा में OH-
आयन उत्पन्न करने वाला विलयन “प्रबल क्षारक होगा|
·
इसी प्रकार क्रमशः कम
मात्रा में H+ व OH‑ आयन उत्पन्न करने वाला विलयन क्रमशः
दुर्बल अम्ल व दुर्बल क्षारक होगा|
दैनिक जीवन
में pH का महत्त्व :
मानव शरीर का
pH मान 7 से 7.8 परास के मध्य का होता हैं | सभी जीवित प्राणी केवल संकीर्ण (सामान्य)
pH परास में ही जीवित रह पाते हैं|
अम्लीय वर्षा
: जब वर्षा जल का pH मान 5.6 से कम हो जाता हैं तो वह वर्षा अम्लीय वर्षा कहलाती
हैं |
जब अम्लीय
वर्षा का जल नदी में पहुचता हैं तो नदी के पानी का pH मान कम हो जाता हैं | जिससे
जलीय जीवधारियों की उत्तर जीविता कठिन हो जाती हैं|
शुक्र ग्रह (venus)
पर स्ल्फुरिक अम्ल के बादल पाए जाते हैं अतः वहां जीवन संभव नहीं हैं|
अलग अलग
पादपों के लिए अलग अलग pH माप वाली मृदा की आवश्यकता होती हैं| अतः मृदा के pH माप
को फसल के अनुकूल बनाकर अधिक उपज (फैदावर) प्राप्त की जा सकती हैं|
भोजन के पाचन
में आमाशय द्वारा HCl उत्सर्जित किया जाता हैं जो भोजन में से जीवाणुओं को नष्ट
करता हैं यदि HCl अधिक मात्रा में उत्पन्न हो तो अपच की स्थिति उत्पन्न होती हैं
जिसके कारण पेट में जलन व दर्द का अनुभव होता हैं |
अम्लता के
उपचार हेतु दुर्बल क्षारको का प्रयोग किया जाता हैं जिन्हें एंटेसीड (Antacid) कहा
जाता हैं जैसे : मिल्क ऑफ मैग्नीशियम
भोजन के समय
लार भी मुंह में अम्लीय माध्यम उत्पन्न करती हैं ताकि बैक्टीरिया भोजन के अपशिष्ट शर्करा
एवं खाद्य पदार्थ का निम्नीकरण कर सकें|
यदि यह pH 5.5
से कम हो जाये तो दांतों के इमैनल को नष्ट कर सकता हैं|
इमैनल वल्क दन्तवल्क
शरीर का सबसे कठोरतम भाग होता हैं जो कैल्सियम फास्फेट से बना होता हैं|
अनेक पादप व
जंतु आत्म रक्षा हेतु भी अम्लों का स्त्राव करते हैं जो जलन पैदा करता हैं| नेटल
पादप के डंक वाला बाल मैथेनॉइक अम्ल का स्त्राव करता हैं जो जलन उत्पन्न करता हैं|
नोट: नेटल एक
शाकीय पादप हैं जिसकी पत्तियों में डंकनुमा बाल होते हैं जिसे छूने मात्रा से ही
तीव्र दर्द का अनुभव होता हैं| इसके उपचार हेतु इसके पास ही उगे डांक नामक पादप की
पत्तियों को डंक वाले स्थान पर रगडा जाता हैं| इसमें दुर्बल क्षार होता हैं|
कुछ
प्राकृतिक अम्ल:
प्राकृतिक स्त्रोत
|
अम्ल
|
प्राकृतिक स्त्रोत
|
अम्ल
|
सिरका
|
एसिटिक अम्ल
|
खट्टा दूध
|
लैक्टिक अम्ल
|
संतरा
|
सिट्रिक अम्ल
|
नीबू
|
सिट्रिक अम्ल
|
इमली
|
टार्टरिक अम्ल
|
चींटी का डंक
|
मेथैनोइक अम्ल
|
टमाटर
|
ओक्सेलिक अम्ल
|
नेटल का डंक
|
मेथैनोइक अम्ल
|
लवण :
लवण अम्ल व
क्षारको की अभिक्रिया के फलस्वरूप बनते हैं|
लवण परिवार :
समान धन व ऋण
मुलक वाले लवणों को एक परिवार के लवण कहा जाता हैं जैसे NaCl, Na2SO4,
NaHCO3, आदि सोडियम लवण परिवार के सदस्य हैं|
इसी प्रकार
NaCl, KCl, AgCl आदि क्लोराइड परिवार के सदस्य हैं|
लवणों का pH मान
प्रबल अम्ल व
प्रबल क्षारक का pH मान 7 होता हैं अर्थात् व उदासीन होता हैं तथा प्रबल अम्ल व दुर्बल
क्षारक का pH मान 7 से कम होता हैं व दुर्बल अम्ल व प्रबल क्षारक का pH मान 7 से
अधिक होता हैं|
सोडियम
क्लोराइड (NaCl):
इसे लवणीय जल
के वाष्पन से तैयार किया जाता हैं|
हाइड्रोक्लोरिक
अम्ल एवं सोडियम हाइड्रोऑक्साइड के विलयन की अभिक्रिया से प्राप्त लवण नमक (NaCl)
कहलाता हैं| जिसका उपयोग खाद्य सामग्री को स्वादिष्ट बनाने में किया जाता हैं| तथा
NaCl का उपयोग जमाव मिश्रण के रूप में भी किया जाता हैं|
नमक का अन्य
उपयोग NaOH, NAHCO3, Na2CO3, एवं CaOCl2
के निर्माण में किया जाता हैं|
सोडियम
हाइड्रोऑक्साइड (NaOH)
यह एक प्रबल
क्षारक हैं जब सोडियम क्लोराइड के जलीय विलयन में विद्युत धारा प्रवाहित की जाती
हैं तो सोडियम हाइड्रो ऑक्साइड उत्पन्न
होता हैं तथा यह अभिक्रिया क्लोर-क्षार अभिक्रिया कहलाती हैं| क्योंकि इसमें
क्लोरिन गैस प्राप्त होती हैं|
2NaOH + H2O
2NaOH + Cl2 + H2
इस अभिक्रिया
में क्लोरिन गैस एनोड पर, हाइड्रोजन गैस कैथोड पर तथा सोडियम हाइड्रोऑक्साइड
प्राप्त होता हैं|
क्लोर-क्षार
अभिक्रिया का उपयोग :
हाइड्रोजन
का उपयोग (H2)
|
क्लोरिन का
उपयोग (Cl2)
|
सोडियम
हाइड्रोऑक्साइड का उपयोग (NaOH)
|
ईधन में
|
जल की
स्वच्छता में
|
धतिओं से
ग्रीस हटाने में
|
अमोनिया
निर्माण में
|
स्वीमिंग
फुल में
|
साबुन व
अपमार्जक निर्माण में
|
HCl के
उत्पादन में
|
PVC के
निर्माण में
|
कागज
उद्योग में
|
हाइड्रोजन
परऑक्साइड के निर्माण
|
रोगाणुनाशक
में रूप में
|
कृत्रिम
फाइबर बनाने में
|
मार्गरिन निर्माण
में
|
CFC व
कीटनाशक के निर्माण में
|
पेट्रोलियम
उद्योग में
|
HCl के उपयोग
|
विरंजक चूर्ण के उपयोग
|
इस्पात की सफाई में
|
घरेलु विरंजक के रूप में
|
अमोनियम क्लोराइड , ओषधि निर्माण
में
|
वस्त्रों के विरजन में, कागज की
फैक्ट्री में, लकड़ी के मज्जा के विरजन में
|
सौन्दर्य प्रसाधन में
|
जल शुदधिकरण में
|
H2SO4 व HNO3
के निर्माण में
|
उपचायक के रूप में कई रासायनिक
उद्योगों में काम आता हैं |
|
विरंजक
चूर्ण (CaOCl2)
क्लोरिन गैस
को शुष्क बुझे चुने [Ca(OH)2] पर प्रवाहित करने पर विरंजक चूर्ण (CaOCl2)
का निर्माण होता हैं|
Ca(OH)2
+ Cl2
CaOCl2 + H2O
सोडियम
हाइड्रोजन कार्बोनेट (NaHCO3)
इसे बैकिंग
सोडा (खाने का सोडा) भी कहा जाता हैं| इसका निर्माण सोडियम क्लोराइड (नमक), जल,
कार्बनडाई ऑक्साइड एवं अमोनिया के द्वारा किया जाता हैं|
NaCl + H2O + CO2 + NH3
NH4Cl + NaHCO3
सोडियम बाई कार्बोनेट
एक दुर्बल असंक्षारक क्षारक हैं|
इसका उपयोग उदासीन
करने में किया जाता हैं तथा जब इसे गर्म किया जाता हैं तो सोडियम कार्बोनेट में
टूट जाता हैं |
NaHCO3
Na2CO3 + H2O + CO2
उपयोग:
·
पावरोटी या केक को फूलने
में किया जाता हैं जिससे ये मुलायम व स्पंजी बनते हैं|
·
इसका उपयोग पेट की
अम्लता को दूर करने में भी किया जाता हैं| जैसे ईनो
·
अग्निशमन यंत्रो में
नोट: बैकिंग सोडा एवं
टार्टरिक अम्ल जैसा एक मंद खाद्य अम्ल का मिश्रण हैं|
जब इसे गर्म किया जाता
हैं या जल में मिलाया जाता हैं तो निम्न अभिक्रिया होती हैं |
NaHCO3
+
H+
CO2 + H2O + अम्ल का सोडियम लवण
धोने का सोडा (Na2CO3.10H2O)
इसका निर्माण सोडियम
क्लोराइड से किया जाता हैं| बेकिंग सोडा को गर्म करके सोडियम कार्बोनेट प्राप्त
किया जा सकता हैं इसके पुनः क्रिस्टलीकरण से धोने का सोडा प्राप्त होता हैं | यह
एक क्षारकीय लवण हैं|
Na2CO3 + 10H2O
Na2CO3.10H2O
उपयोग:
·
काँच, साबुन एवं कागज
उद्योग में
·
बोरेक्स जैसे सोडियम
यौगिक बनाने में
·
जल की स्थायी कठोरता
दूर करने में
·
गलन मिश्रण बनाने
में, गलन मिश्रण पोटेशियम कार्बोनेट एवं सोडियम कार्बोनेट का मिश्रण में
नीला थोथा (CuSO4.5H2O)
कॉपर सल्फेट के
क्रिस्टलों में क्रिस्टल का जल होता हैं तथा यह नीले रंग का धात्विक यौगिक होता
हैं |
क्रिस्टल का जल : लवण
के एक सूत्र इकाई में जल के निश्चित अणुओं की संख्या को क्रिस्टल का जल कहते हैं|
नीला थोथा को गर्म
करने पर निर्जल CuSO4 प्राप्त होता हैं |
CuSO4.5H2O
CuSO4 + 5H2O
उपयोग: विद्युत लेपन
में , बोर्दो मिश्रण ( नीला थोथा एवं चुने का मिश्रण) बनाने में , बोर्दो मिश्रण
का उपयोग कवकनाशी के रूप में होता हैं |
प्लास्टर ऑफ पेरिस (CaSO4 . ½ H2O)
यह जिप्सम का
अर्द्ध हाईड्रेड होता हैं इसका निर्माण जिप्सम को नियंत्रित ताप पर गर्म करके किया
जाता हैं|
2CaSO4.2H2O
(CaSO4)2.2H2O + 3H2O
जिप्सम (प्लास्टर ऑफ पेरिस
)
उपयोग: 1. टूटी हुई हड्डीयों को जोड़ने में, 2. खिलोने बनाने में एवं सजावटी समान बनाने में तथा
सतह को चिकना बनाने में किया जाता हैं| 3. चोक बनाने में 4. सिरेमिक पाइप बनाने में, 5. भवन निर्माण में |